भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मासूम दृश्य / दीपाली अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीपाली अग्रवाल |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:31, 20 मार्च 2020 के समय का अवतरण

 जीवन के एक हिस्से में जहां संसार
संभवतः फिर किसी युद्ध की तैयारी में है,
वैश्विक नफ़रतों के व्यापार फल फूल रहे हैं,
धर्म की चटाई पर जुए की बिसातें बिछी हैं,
और चेहरे पर लगे मुखौटे अब स्थाई हो गए हैं,
वहां कतिपय ही दृश्य मासूम बाकी हैं
जैसे सुखद है आदम के बच्चों का पहला क्रंदन,
किसान के बंजर चेहरे पर हंसी की खेती,
प्रेमी के द्वारा कपाल पर दिया पहला चुम्बन,
ईश्वर के दरवाज़े पर की गई प्रार्थना कि
'सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामया'
कितना सुखद है भोर के एक प्रहर में
बस्ता टांगे आज को भविष्य की ओर जाते देखना
कतिपय ही दृश्य मासूम बाकी हैं वहां
जहां संसार फिर किसी युद्ध की तैयारी में है