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"ख़्वाब - 2 / अंशु हर्ष" के अवतरणों में अंतर

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18:33, 22 मार्च 2020 के समय का अवतरण

ख़्वाबों में जब
आसमान में चहल कदमी करती हूँ
ये तारे चुभते है पग की हथेलियों में
बैठ कर बुहारती हूँ तो
हाथ की रेखाओं में चमक बैठ जाती है
चाँद से कहती हूँ
यूँ मत टूट के बिखरा करों
सुबह होते ही ये दुनियां
मेरे रात के सफर को
पहचान जाती है