भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शाम / निलिम कुमार

146 bytes added, 20:21, 29 अप्रैल 2020
{{KKRachna
|रचनाकार=निलिम कुमार
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=
}}
जिस शाम ने कल
मृतक तारों की पहाड़ी पर खड़े होकर
दो बूँद बून्द खून मुझसे माँगा था
कल नहीं जानता था मैं
उस शाम, उस पहाड़ और शाम के रहस्य को
आज इन किताबों के बीच
एक शाम मरी हुई है
जिस शाम के नीचे
क्षण भर के लिए
जी उठती है वह पहाड़ी
और मेरी चेतना में मृत्यु '''मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,328
edits