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"एउटा तीब्र बिहान / ईश्वरवल्लभ" के अवतरणों में अंतर
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15:58, 4 मई 2020 के समय का अवतरण
ती तीब्र उज्याला परिवेशहरू
पग्लिन्छन् रेखाहरू भएर, कि शून्य झैँ स्थिर हुन्छन्
तर पनि पग्लिनु स्थिर हुनु होइन,
पानी हुनु हो ।
परिवेश पग्लिंदा नदी हुनु हो ।
त्यसैले, बिहानदेखिन् झरेर बेलुकीसम्म
जस्तै शिखरदेखिन् तल औलसम्म,
भिज्दै पनि
हराउँदै पनि, ती उज्याला आतंकहरू
आतंकरेखा भने, केही भन्नु हुँदैन
आतंक साँझ हुनु हो
घाम हुनु हो-
पश्चिममा अल्झिरहेका ती साँझहरू
तरल हुन्छन् तीर भएर
हरेक पाइलासितै पाइला सार्दै
हरेक आघातसितै ओर्लिंदै तल
परेको तीब्र रातो बिहानजस्तो।