भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुम हो बहुत महान् ( प्रार्थना / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} Category:...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:51, 6 मई 2020 के समय का अवतरण
हे प्रभु तुम हो बहुत महान् ।
सबको दो विद्या का दान ॥
तुम रहते हो सबके मन में
गाँव-नगर में, घर में, वन में।
नदियाँ गाती तेरा गान ॥
तुम पर्वत पर , तुम सागर में
तुम धरती पर तुम अम्बर में।
तुम कोयल की मीठी तान । ।
फसलों की हर क्यारी में तुम
फूलों की फुलवारी में तुम ।
कलियों में तेरी मुस्कान ।
हमको अपने गले लगाओ
हमें प्रेम की राह दिखाओ ।
सुख-दु:ख समझें एक समान ॥