भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बाँची दिन्छु तिम्रै निम्ति / गोपाल योञ्जन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
| पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
| + | बाँचिदिन्छु तिम्रै निम्ति, मरिदिन म सक्दिनँ | ||
| + | लाखौँ बाचा यो पीरतीको, सबै निभाउन सक्दिनँ | ||
| − | + | संसारसम्म दिन सक्छु म, वैकुण्ठ दिन म सक्दिनँ | |
| − | + | उज्यालोदेखि डर लाग्छ भने, घाम डुबाउन सक्दिनँ | |
| − | + | म निहुरिदिन्छु प्यार कै निम्ति, तर शीर टेकाउन सक्दिनँ | |
| − | + | ||
| − | + | मायाले सिँगारी राखूँला, ताराले सिँगार्न सक्दिनँ | |
| − | + | मेरो मायाको साथ दिन, तिमीलाई ताज बनाउन सक्दिनँ | |
| − | + | यी सत्यहरू मान्दिनौ भने, दिल चिरी देखाउन सक्दिनँ | |
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | + | ||
| − | ताराले | + | |
| − | मेरो मायाको साथ दिन तिमीलाई | + | |
| − | ताज बनाउन | + | |
| − | यी | + | |
| − | दिल चिरी देखाउन | + | |
</poem> | </poem> | ||
23:36, 7 मई 2020 के समय का अवतरण
बाँचिदिन्छु तिम्रै निम्ति, मरिदिन म सक्दिनँ
लाखौँ बाचा यो पीरतीको, सबै निभाउन सक्दिनँ
संसारसम्म दिन सक्छु म, वैकुण्ठ दिन म सक्दिनँ
उज्यालोदेखि डर लाग्छ भने, घाम डुबाउन सक्दिनँ
म निहुरिदिन्छु प्यार कै निम्ति, तर शीर टेकाउन सक्दिनँ
मायाले सिँगारी राखूँला, ताराले सिँगार्न सक्दिनँ
मेरो मायाको साथ दिन, तिमीलाई ताज बनाउन सक्दिनँ
यी सत्यहरू मान्दिनौ भने, दिल चिरी देखाउन सक्दिनँ
