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"हाथी दादा धम्मक-धम्मक / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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जा पहुँचे स्कूल  ।
  
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पकी जामुने, जमकर खाईं
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खूब दिखाई शान ।
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खा-पीकर फिर मच्चक-मच्चक ,
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पहुँच गए मैदान ।
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सवेरे से मैच क्रिकेट का
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था वहाँ पर जारी ।
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बैट पकड़कर मारे छक्के
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जीत गए थे पारी ।
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ड्राइंग रूम में दादा जी ,
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फिर अचानक आए ।
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दीवार पर अपनी सूँड से ,
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कई चित्र बनाए ।
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लाइब्रेरी में जाकर फिर
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पुस्तक एक उठाई ।
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सूप जैसे कान हिलाकर
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कविता एक सुनाई ।
  
 
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08:37, 8 मई 2020 के समय का अवतरण

हँसी -ठिठौली बच्चों की सुन ,
खिले हज़ारों फूल ।
हाथी दादा धम्मक-धम्मक ,
जा पहुँचे स्कूल ।

पकी जामुने, जमकर खाईं
खूब दिखाई शान ।
खा-पीकर फिर मच्चक-मच्चक ,
पहुँच गए मैदान ।

सवेरे से मैच क्रिकेट का
था वहाँ पर जारी ।
बैट पकड़कर मारे छक्के
जीत गए थे पारी ।

ड्राइंग रूम में दादा जी ,
फिर अचानक आए ।
दीवार पर अपनी सूँड से ,
कई चित्र बनाए ।

लाइब्रेरी में जाकर फिर
पुस्तक एक उठाई ।
सूप जैसे कान हिलाकर
कविता एक सुनाई ।