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"कविता-2 / रवीन्द्रनाथ ठाकुर" के अवतरणों में अंतर
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23:40, 11 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण
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वे तुम्हें
संपदा का समुद्र कहते हैं
कि तुम्हारी अंधेरी गहराईयों में
मोतियों और रत्नों का खजाना है, अंतहीन।
बहुत से समुद्री गोताखोर
वह खजाना ढूंढ रहे हैं
पर उनकी खोजबीन में मेरी रूचि नहीं है
तुम्हारी सतह पर कांपती रोशनी
तुम्हारे हृदय में कांपते रहस्य
तुम्हारी लहरों का पागल बनाता संगीत
तुम्हारी नृत्य करती फेनराशि
ये सब काफी हैं मेरे लिए
अगर कभी इस सबसे मैं थक गया
तो मैं तुम्हारे अथाह अंतस्थल में
समा जाउंगा
वहां जहां मृत्यु होगी
या होगा वह खजाना।
अंग्रेजी से अनुवाद - कुमार मुकुल