भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वर दे वीणावादिनी वर दे ! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=गीतिका / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला";रागविराग / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" | |संग्रह=गीतिका / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला";रागविराग / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKVID|v=KD44AQXSuKY}} | ||
{{KKPrasiddhRachna}} | {{KKPrasiddhRachna}} | ||
{{KKCatNavgeet}} | {{KKCatNavgeet}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | वर दे, वीणावादिनि वर दे ! | + | वर दे, वीणावादिनि वर दे! |
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव | प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव | ||
− | भारत में भर दे ! | + | भारत में भर दे! |
काट अंध-उर के बंधन-स्तर | काट अंध-उर के बंधन-स्तर | ||
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर; | बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर; | ||
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर | कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर | ||
− | जगमग जग कर दे ! | + | जगमग जग कर दे! |
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव | नव गति, नव लय, ताल-छंद नव | ||
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव; | नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव; | ||
नव नभ के नव विहग-वृंद को | नव नभ के नव विहग-वृंद को | ||
− | नव पर, नव स्वर दे ! | + | नव पर, नव स्वर दे! |
वर दे, वीणावादिनि वर दे। | वर दे, वीणावादिनि वर दे। | ||
</poem> | </poem> |
19:18, 23 मई 2020 के समय का अवतरण
यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
वर दे, वीणावादिनि वर दे!
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे!
काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे!
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे!
वर दे, वीणावादिनि वर दे।