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"पतझड़ का षड़यंत्र फल गया / ईश्वर करुण" के अवतरणों में अंतर

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पतझड़ का षड़यंत्र फल गया  
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पतझड़ का षडयंत्र फल गया  
 
हिया जुड़ाया काँटों का  
 
हिया जुड़ाया काँटों का  
 
मन के ऊपर राज हो गया  
 
मन के ऊपर राज हो गया  
 
निर्वासित सन्नाटों का  
 
निर्वासित सन्नाटों का  
  
जाने क्या कह दिया तुम्हें , उस दिन मैं ने कचनार तले  
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जाने क्या कह दिया तुम्हें , उस दिन मैं ने कचनार तले  
 
कोस-कोस उस एक घड़ी को कितने दिन और  शाम ढले  
 
कोस-कोस उस एक घड़ी को कितने दिन और  शाम ढले  
 
अब तक खुला नहीं ताला  
 
अब तक खुला नहीं ताला  
 
क्यों तेरे हृदय कपाटों का  
 
क्यों तेरे हृदय कपाटों का  
  
भँवरे तो प्रतिद्वन्द्वी थे ही , फूल भी बैरी बन बैठे  
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भँवरे तो प्रतिद्वन्द्वी थे ही, फूल भी बैरी बन बैठे  
तान भृकुटियाँ तितली भागी ,कोयल -पपिहे तन बैठे
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तान भृकुटियाँ तितली भागी,कोयल-पपिहे तन बैठे
 
नौकाएँ विद्रोह कर गयीं,
 
नौकाएँ विद्रोह कर गयीं,
 
साथ दे दिया घाटों का  
 
साथ दे दिया घाटों का  
  
मान भी जाओ ,छोड़ भी दो तुम ओढ़े हुए परायापन  
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मान भी जाओ, छोड़ भी दो तुम ओढ़े हुए परायापन  
अच्छा नहीं कि जेठ के हाँथों बेचें हम अपना सावन  
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अच्छा नहीं कि जेठ के हाथों बेचें हम अपना सावन  
 
मिले प्रीत तो खिल जाता है,  
 
मिले प्रीत तो खिल जाता है,  
तन -मन मूर्ख-चपाटों का  
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तन-मन मूर्ख-चपाटों का  
 
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20:38, 25 मई 2020 के समय का अवतरण

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पतझड़ का षडयंत्र फल गया
हिया जुड़ाया काँटों का
मन के ऊपर राज हो गया
निर्वासित सन्नाटों का

जाने क्या कह दिया तुम्हें , उस दिन मैं ने कचनार तले
कोस-कोस उस एक घड़ी को कितने दिन और शाम ढले
अब तक खुला नहीं ताला
क्यों तेरे हृदय कपाटों का

भँवरे तो प्रतिद्वन्द्वी थे ही, फूल भी बैरी बन बैठे
तान भृकुटियाँ तितली भागी,कोयल-पपिहे तन बैठे
नौकाएँ विद्रोह कर गयीं,
साथ दे दिया घाटों का

मान भी जाओ, छोड़ भी दो तुम ओढ़े हुए परायापन
अच्छा नहीं कि जेठ के हाथों बेचें हम अपना सावन
मिले प्रीत तो खिल जाता है,
तन-मन मूर्ख-चपाटों का