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"चुपचाप / राकेश रेणु" के अवतरणों में अंतर
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पत्ते झरते हैं भीगी टहनियों से | पत्ते झरते हैं भीगी टहनियों से | ||
− | पीले-गीले-अनचाहे, | + | पीले-गीले-अनचाहे, चुपचाप। |
रात झर रही है पृथ्वी पर | रात झर रही है पृथ्वी पर | ||
− | रुआँसी, बादलों, पियराए पत्तों सी, | + | रुआँसी, बादलों, पियराए पत्तों सी, चुपचाप। |
अव्यक्त दुख से भरी | अव्यक्त दुख से भरी | ||
अश्रुपूरित नेत्रों से | अश्रुपूरित नेत्रों से | ||
− | विदा लेती है प्रेयसी, | + | विदा लेती है प्रेयसी, चुपचाप। |
पीड़ित हृदय, भारी क़दमों से | पीड़ित हृदय, भारी क़दमों से | ||
− | लौटता है पथिक, | + | लौटता है पथिक, चुपचाप। |
उम्मीद और सपनों भरा जीवन | उम्मीद और सपनों भरा जीवन | ||
− | इस तरह घटित होता है, | + | इस तरह घटित होता है, चुपचाप। |
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18:50, 29 मई 2020 का अवतरण
बूँदें गिर रही हैं बादल से
एकरस, धीरे-धीरे, चुपचाप।
पत्ते झरते हैं भीगी टहनियों से
पीले-गीले-अनचाहे, चुपचाप।
रात झर रही है पृथ्वी पर
रुआँसी, बादलों, पियराए पत्तों सी, चुपचाप।
अव्यक्त दुख से भरी
अश्रुपूरित नेत्रों से
विदा लेती है प्रेयसी, चुपचाप।
पीड़ित हृदय, भारी क़दमों से
लौटता है पथिक, चुपचाप।
उम्मीद और सपनों भरा जीवन
इस तरह घटित होता है, चुपचाप।