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"बयान / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर

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23:02, 13 सितम्बर 2008 का अवतरण

मैं देख रहा हूं
बहुत दिनों से

क़ातिल का चमकता ख़न्जर
ख़न्जर से टपकती लहू की बूंद
और इस बूंद से
माथे पर तिलक करता इतिहास

धरती की कोख में
तेज़ाबी झरनों की तरह गिरती
हवस की धार

परभक्षियों का
शान्ति दूत की तरह
भव्य स्वागत किया जाना

में देख रहा हूं
बहुत दिनों से

लुटेरों की तिजोरियों में पड़ा
बेशुमार धन
जिसका कोई ब्योरा नहीं
आयकर विभाग के पास

प्यार के नाम पर
प्यार के सिवा सबकुछ करके
अथाह प्यार पाने वाले

पूरा साल नागपंचमी है
सांपों के लिए ।