भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रउरा गाँवे जब ले सावन आइल बा / आसिफ रोहतासवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} {{KKCatBhojpuriRachna}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

14:02, 5 जून 2020 का अवतरण

रउरा गाँवे जब ले सावन आइल बा
हमरा गाँवे तलई- ताल सुखाइल बा

पटना-दिल्ली बइठल रउरा का जानब -
तरवा जेठे कतना ई भउराइल बा

लेके हम आपन गगरी कहवाँ जाईं
हमरा खातिर घाट सभे कउराइल बा

जेतने पेवन सटलीं, ओतने छितराइल
जिनगी के कथरी अइसन बिधुनाइल बा

ई रोटी हमरा खातिर सपना बाटे
रउआ खातिर भलहीं ई अउराइल बा

सांच कहे के लत लागल बा जहिया ले
लोग कहेला, 'आसिफ' त बउराइल बा