भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"फेर हवाबाज़ आ गइल बादर / आसिफ रोहतासवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Jalaj Mishra (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} {{KKCatBihar}} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:04, 5 जून 2020 का अवतरण
फेर हवाबाज़ आ गइल बादर ,
सिर्फ शहरे प छा गइल बादर।
रह गइल चुरुआ लगवले मडई,
छत के पानी पिया गइल बादर ।
भेख बहुरुपिया नियन बदले,
खूब बुरबक बना गइल बादर ।
नाहि बरसे के तनिक बा हबखब
खेत लहलस डूबा गइल बादर ।
खूब गरजल, चमक-दमक देके ,
खूब सपना देखा गइल बादर ।
भूख 'आसिफ' न कुछ सुने देलसु ,
राग बादल सूना गइल बादर ।