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"कबहूँ लिखा सकल ना तहरीर जिन्दगी के / मनोज भावुक" के अवतरणों में अंतर
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कबहूँ लिखा सकल ना तहरीर जिन्दगी के | कबहूँ लिखा सकल ना तहरीर जिन्दगी के |
15:40, 7 जून 2020 के समय का अवतरण
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कबहूँ लिखा सकल ना तहरीर जिन्दगी के
कबहूँ पढ़ा सकल ना तकदीर जिन्दगी के
केहू निखोर देले बा घाव सब पुरनका
आवँक में आ रहल ना दुख - पीर जिन्दगी के
जब - जब भरेला छाती साथी के घात से तब
देला सकून आँखिन के नीर जिन्दगी के
गोदी से लेके डोली, डोली से लेके अर्थी
अतने में बा समूचा तस्वीर जिन्दगी के
तहरे बदे रहत बा पागल परान 'भावुक'
तूहीं हिया के थाती, जागीर जिन्दगी के