भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सड़क के दोनों तरफ़ ख़ैरियत है / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: आकाश के एक छोर से<br /> दूसरे छोर तक उड़ रही है<br /> रंगबिरंगी मौत<br /> पतं...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{KKGlobal}} | ||
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=नोमान शौक़ | ||
+ | }} | ||
+ | |||
आकाश के एक छोर से<br /> | आकाश के एक छोर से<br /> | ||
दूसरे छोर तक उड़ रही है<br /> | दूसरे छोर तक उड़ रही है<br /> |
23:57, 14 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण
आकाश के एक छोर से
दूसरे छोर तक उड़ रही है
रंगबिरंगी मौत
पतंगों की तरह बल खाती हुई
जिसकी डोर
गली के मनचले लड़कों के हाथों में है।
बिखरते चांद की
अधजली परछाईं से बने रथ पर सवार
झूमते हुए आते हैं आवारा कुत्तो
जो भौंकते हैं
कभी धीमी और कभी तेज़ आवाज़ में।
समझदार लोग
खड़े हो जाते हैं सड़क के दोनों तरफ़
सिर झुकाकर।