भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"स्मृति / वाल्झीना मोर्त / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वाल्झीना मोर्त |अनुवादक=अनिल जनव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:59, 9 जून 2020 के समय का अवतरण

तुम्हारी याद —
जैसे भूसे में गिरी कोई सुई हो
जिसे कभी ढूँढ़ा नहीं जा सकता ।

लेकिन इस भूसाघर में
किसी अन्य पुरुष के साथ
लोटते-पोटते हुए
हर बार मैं डरती हूँ
उसकी सुई से !

रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय