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+ | मन का पाखी | ||
+ | जाने किस डाल पे | ||
+ | कब जाकर बैठे, | ||
+ | खुद परखो | ||
+ | डाल की मजबूती | ||
+ | भरोसा न तोड़ दे । | ||
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+ | जब भी दर्द | ||
+ | हद से गुज़रता | ||
+ | रोना चाहता मन | ||
+ | रो नहीं पाता | ||
+ | ज़माने के डर से | ||
+ | सिर्फ़ हँसी सजाता । | ||
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+ | परदेस में | ||
+ | ठण्डी हवा का झोंका | ||
+ | धीरे से लेता आए- | ||
+ | यादें पुरानी | ||
+ | माँ का नर्म आँचल | ||
+ | वही सुनी कहानी । | ||
+ | 13 | ||
+ | शहरी भीड़ | ||
+ | सब कुछ मिलता | ||
+ | बिखरा चमचम | ||
+ | नहीं मिलता- | ||
+ | तारों की छाँव तले | ||
+ | वो सपने सजाना । | ||
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+ | नहीं डरती | ||
+ | आने वाले पल से, | ||
+ | जो ख़त्म हो जाएगा, | ||
+ | मेरी कविता ? | ||
+ | बिना किसी अंत के | ||
+ | कितनी अधूरी सी । | ||
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20:17, 13 जून 2020 के समय का अवतरण
8
ज़माना कभी
हँसने नहीं देगा
अपनी राह चुनो,
किसी की खुशी
उसे नहीं पसन्द-
बेपरवाह बनो ।
9
ग़ैरों से कैसा
शिकवा है करना
अपने ही तलाशें,
आसान रास्ता
राह में तेरे रोड़े
अटकाने के वास्ते ।
10
मन का पाखी
जाने किस डाल पे
कब जाकर बैठे,
खुद परखो
डाल की मजबूती
भरोसा न तोड़ दे ।
11
जब भी दर्द
हद से गुज़रता
रोना चाहता मन
रो नहीं पाता
ज़माने के डर से
सिर्फ़ हँसी सजाता ।
12
परदेस में
ठण्डी हवा का झोंका
धीरे से लेता आए-
यादें पुरानी
माँ का नर्म आँचल
वही सुनी कहानी ।
13
शहरी भीड़
सब कुछ मिलता
बिखरा चमचम
नहीं मिलता-
तारों की छाँव तले
वो सपने सजाना ।
14
नहीं डरती
आने वाले पल से,
जो ख़त्म हो जाएगा,
मेरी कविता ?
बिना किसी अंत के
कितनी अधूरी सी ।