भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आँकड़ों की बीमारी / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=कुंवर नारायण
 
|रचनाकार=कुंवर नारायण
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita‎}}
 +
{{KKVID|v=f9BZTzMDTzY}}
 +
<poem>
 
एक बार मुझे आँकड़ों की उल्टियाँ होने लगीं
 
एक बार मुझे आँकड़ों की उल्टियाँ होने लगीं
 
 
गिनते गिनते जब संख्या  
 
गिनते गिनते जब संख्या  
 
 
करोड़ों को पार करने लगी  
 
करोड़ों को पार करने लगी  
 
 
मैं बेहोश हो गया  
 
मैं बेहोश हो गया  
 
 
  
 
होश आया तो मैं अस्पताल में था  
 
होश आया तो मैं अस्पताल में था  
 
 
खून चढ़ाया जा रहा था  
 
खून चढ़ाया जा रहा था  
 
 
आँक्सीजन दी जा रही थी  
 
आँक्सीजन दी जा रही थी  
 
 
कि मैं चिल्लाया  
 
कि मैं चिल्लाया  
 
 
डाक्टर मुझे बुरी तरह हँसी आ रही  
 
डाक्टर मुझे बुरी तरह हँसी आ रही  
 
 
यह हँसानेवाली गैस है शायद  
 
यह हँसानेवाली गैस है शायद  
 
 
प्राण बचानेवाली नहीं  
 
प्राण बचानेवाली नहीं  
 
 
तुम मुझे हँसने पर मजबूर नहीं कर सकते  
 
तुम मुझे हँसने पर मजबूर नहीं कर सकते  
 
 
इस देश में हर एक को अफ़सोस के साथ जीने का  
 
इस देश में हर एक को अफ़सोस के साथ जीने का  
 
 
पैदाइशी हक़ है वरना  
 
पैदाइशी हक़ है वरना  
 
 
कोई माने नहीं रखते हमारी आज़ादी और प्रजातंत्र  
 
कोई माने नहीं रखते हमारी आज़ादी और प्रजातंत्र  
 
 
  
 
बोलिए नहीं - नर्स ने कहा - बेहद कमज़ोर हैं आप  
 
बोलिए नहीं - नर्स ने कहा - बेहद कमज़ोर हैं आप  
 
 
बड़ी मुश्किल से क़ाबू में आया है रक्तचाप  
 
बड़ी मुश्किल से क़ाबू में आया है रक्तचाप  
 
 
  
 
डाक्टर ने समझाया - आँकड़ों का वाइरस  
 
डाक्टर ने समझाया - आँकड़ों का वाइरस  
 
 
बुरी तरह फैल रहा आजकल  
 
बुरी तरह फैल रहा आजकल  
 
 
सीधे दिमाग़ पर असर करता  
 
सीधे दिमाग़ पर असर करता  
 
 
भाग्यवान हैं आप कि बच गए  
 
भाग्यवान हैं आप कि बच गए  
 
 
कुछ भी हो सकता था आपको –
 
कुछ भी हो सकता था आपको –
 
 
  
 
सन्निपात कि आप बोलते ही चले जाते  
 
सन्निपात कि आप बोलते ही चले जाते  
 
 
या पक्षाघात कि हमेशा कि लिए बन्द हो जाता  
 
या पक्षाघात कि हमेशा कि लिए बन्द हो जाता  
 
 
आपका बोलना  
 
आपका बोलना  
 
 
मस्तिष्क की कोई भी नस फट सकती थी  
 
मस्तिष्क की कोई भी नस फट सकती थी  
 
 
इतनी बड़ी संख्या के दबाव से  
 
इतनी बड़ी संख्या के दबाव से  
 
 
हम सब एक नाज़ुक दौर से गुज़र रहे  
 
हम सब एक नाज़ुक दौर से गुज़र रहे  
 
 
तादाद के मामले में उत्तेजना घातक हो सकती है  
 
तादाद के मामले में उत्तेजना घातक हो सकती है  
 
 
आँकड़ों पर कई दवा काम नहीं करती  
 
आँकड़ों पर कई दवा काम नहीं करती  
 
 
शान्ति से काम लें  
 
शान्ति से काम लें  
 
 
अगर बच गए आप तो करोड़ों में एक होंगे .....
 
अगर बच गए आप तो करोड़ों में एक होंगे .....
 
 
  
 
अचानक मुझे लगा  
 
अचानक मुझे लगा  
 
 
ख़तरों से सावधान कराते की संकेत-चिह्न में  
 
ख़तरों से सावधान कराते की संकेत-चिह्न में  
 
 
बदल गई थी डाक्टर की सूरत  
 
बदल गई थी डाक्टर की सूरत  
 
 
और मैं आँकड़ों का काटा  
 
और मैं आँकड़ों का काटा  
 
 
चीख़ता चला जा रहा था  
 
चीख़ता चला जा रहा था  
 
 
कि हम आँकड़े नहीं आदमी हैं
 
कि हम आँकड़े नहीं आदमी हैं
 +
</poem>

21:24, 13 जून 2020 के समय का अवतरण

यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें

एक बार मुझे आँकड़ों की उल्टियाँ होने लगीं
गिनते गिनते जब संख्या
करोड़ों को पार करने लगी
मैं बेहोश हो गया

होश आया तो मैं अस्पताल में था
खून चढ़ाया जा रहा था
आँक्सीजन दी जा रही थी
कि मैं चिल्लाया
डाक्टर मुझे बुरी तरह हँसी आ रही
यह हँसानेवाली गैस है शायद
प्राण बचानेवाली नहीं
तुम मुझे हँसने पर मजबूर नहीं कर सकते
इस देश में हर एक को अफ़सोस के साथ जीने का
पैदाइशी हक़ है वरना
कोई माने नहीं रखते हमारी आज़ादी और प्रजातंत्र

बोलिए नहीं - नर्स ने कहा - बेहद कमज़ोर हैं आप
बड़ी मुश्किल से क़ाबू में आया है रक्तचाप

डाक्टर ने समझाया - आँकड़ों का वाइरस
बुरी तरह फैल रहा आजकल
सीधे दिमाग़ पर असर करता
भाग्यवान हैं आप कि बच गए
कुछ भी हो सकता था आपको –

सन्निपात कि आप बोलते ही चले जाते
या पक्षाघात कि हमेशा कि लिए बन्द हो जाता
आपका बोलना
मस्तिष्क की कोई भी नस फट सकती थी
इतनी बड़ी संख्या के दबाव से
हम सब एक नाज़ुक दौर से गुज़र रहे
तादाद के मामले में उत्तेजना घातक हो सकती है
आँकड़ों पर कई दवा काम नहीं करती
शान्ति से काम लें
अगर बच गए आप तो करोड़ों में एक होंगे .....

अचानक मुझे लगा
ख़तरों से सावधान कराते की संकेत-चिह्न में
बदल गई थी डाक्टर की सूरत
और मैं आँकड़ों का काटा
चीख़ता चला जा रहा था
कि हम आँकड़े नहीं आदमी हैं