भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"माटी री सौरम / इरशाद अज़ीज़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= इरशाद अज़ीज़ |अनुवादक= |संग्रह= मन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:07, 15 जून 2020 के समय का अवतरण

माटी री सौरम
सांसां मांय घुळ जावै
तो जीवण सफळ होय जावै

माटी रो मिनख
जे आपरी माटी नैं याद नीं राखै
तो उणरै जीवण रो कांई मोल!