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"यह भी हो सकता है / देवेन्द्र आर्य" के अवतरणों में अंतर

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जाने कितनों ने लिखी अपनी कहानी इस पर
 
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फिर भी लगता है मेरे दिल का वरक सादा हो
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फिर भी लगता है मेरे दिल का वरक़ सादा हो
  
 
रौशनी इतनी ज़ियादा भी नहीं ठीक मियाँ
 
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ये भी हो सकता है आँखों में कोई सपना हो
 
ये भी हो सकता है आँखों में कोई सपना हो
 
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09:11, 18 जून 2020 के समय का अवतरण

यह भी हो सकता है अच्छा हो, मगर धोखा हो
क्या पता गर्भ में पलता हुआ कल कैसा हो

भाप उड़ती हुई चीज़ें ही बिकेंगी अब तो
शब्द हो, रेह हो, सपना हो या समझौता हो

यूँ तो हर मोड़ पे मिल जाता है मुझसे लेकिन
इस तरह मिलता है जैसे कि कभी देखा हो

जाने कितनों ने लिखी अपनी कहानी इस पर
फिर भी लगता है मेरे दिल का वरक़ सादा हो

रौशनी इतनी ज़ियादा भी नहीं ठीक मियाँ
ये भी हो सकता है आँखों में कोई सपना हो