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"बात अब तो खत्म करिए / देवेन्द्र आर्य" के अवतरणों में अंतर
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सत्य होता है सनातन | सत्य होता है सनातन | ||
− | जिल्द बदली है | + | जिल्द बदली है किताबों की नहीं बदला है दर्शन |
किंग होते थे कभी राजन कभी जिल्लेसुभानी | किंग होते थे कभी राजन कभी जिल्लेसुभानी | ||
सांसद अब हैं महाजन। | सांसद अब हैं महाजन। |
09:40, 18 जून 2020 के समय का अवतरण
होगी भी क्या बात अब तो ख़त्म करिए
बढ़ गई तो ख़बर होगी, अपनी इज़्ज़त को तो डरिए
जो हुआ उसका हमें भी खेद है।
क्या करें आकाश में ही छेद है।।
जानते हैं हुआ क्या था?
इंद्र ने फिर आ के धोके से अहिल्या को छुआ था
किन्तु अबकी दोष गौतम ने अहिल्या को न देकर
इंद्र के मत्थे मढ़ा था।
हाय तौबा बस इसी पर
रुष्ट सारे भद्र जन हैं स्वर्ग में चर्चा भयंकर
व्यवस्था का प्रश्न अबला की चुनौती
पड़ गया ख़तरे में शायद वेद है।।
सत्य होता है सनातन
जिल्द बदली है किताबों की नहीं बदला है दर्शन
किंग होते थे कभी राजन कभी जिल्लेसुभानी
सांसद अब हैं महाजन।
वही कुर्सी वही चंदन
मूल्य सारे दो तरह के वही चीख़ें वही शोषण।
आँख सबकी एक होती है मगर
आँसुओं और आँसुओं में भेद है।।