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"दिये तीरगी जब मिटाने लगे/ सर्वत एम जमाल" के अवतरणों में अंतर

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ख़ुदा, जाने कब आजमाने लगे
 
ख़ुदा, जाने कब आजमाने लगे
  
ग़ज़ल तुमको पढनी थी सर्वत मगर
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ग़ज़ल तुमको पढ़नी थी सर्वत मगर
 
तुम आज अपना दुखड़ा सुनाने लगे
 
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13:06, 24 जून 2020 के समय का अवतरण

दिए तीरगी जब मिटाने लगे
अचानक हवा के निशाने लगे

जो सूरज उठा रोशनी बाँटने
तो सब रात के गीत गाने लगे

हमें धुन कि मंज़िल तो आए क़रीब
सफ़र की ये कोशिश ठिकाने लगे

जो कल तक थे हवा के मुहाफ़िज़ यहाँ
वही आज चेहरे छुपाने लगे

ये शीशे ये ज़र्रे तो बेजान थे
मगर धूप में जगमगाने लगे

फ़रिश्ता नहीं हूँ यही ख़ौफ़ है
ख़ुदा, जाने कब आजमाने लगे

ग़ज़ल तुमको पढ़नी थी सर्वत मगर
तुम आज अपना दुखड़ा सुनाने लगे