भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जय- जय भैरवि असुर भयाउनि / विद्यापति" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
{{KKCatGeet}}
 
{{KKCatGeet}}
 
{{KKCatMaithiliRachna}}
 
{{KKCatMaithiliRachna}}
 +
{{KKVID|v=I5rfcX--GiM}}
 
<poem>  
 
<poem>  
 
जय-जय भै‍रवि असुर भयाउनि
 
जय-जय भै‍रवि असुर भयाउनि
 
पशुपति भामिनी माया
 
पशुपति भामिनी माया
सहज सुमति कर दियउ गोसाउनि
+
सहज सुमति वर दियउ गोसाउनि
 
अनुगति गति तुअ पाया
 
अनुगति गति तुअ पाया
 +
 
वासर रैनि सबासन शोभित
 
वासर रैनि सबासन शोभित
 
चरण चन्‍द्रमणि चूड़ा
 
चरण चन्‍द्रमणि चूड़ा
 
कतओक दैत्‍य मारि मुख मेलल
 
कतओक दैत्‍य मारि मुख मेलल
 
कतओ उगिलि कएल कूड़ा
 
कतओ उगिलि कएल कूड़ा
 +
 
सामर बरन नयन अनुरंजित
 
सामर बरन नयन अनुरंजित
 
जलद जोग फुलकोका
 
जलद जोग फुलकोका
 
कट-कट विकट ओठ पुट पांडरि
 
कट-कट विकट ओठ पुट पांडरि
 
लिधुर फेन उठ फोंका
 
लिधुर फेन उठ फोंका
 +
 
घन-घन-घनय घुंघरू कत बाजय
 
घन-घन-घनय घुंघरू कत बाजय
 
हन-हन कर तुअ काता
 
हन-हन कर तुअ काता
 
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
 
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
 
पुत्र बिसरू जनि माता
 
पुत्र बिसरू जनि माता

19:13, 1 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें

 
जय-जय भै‍रवि असुर भयाउनि
पशुपति भामिनी माया
सहज सुमति वर दियउ गोसाउनि
अनुगति गति तुअ पाया

वासर रैनि सबासन शोभित
चरण चन्‍द्रमणि चूड़ा
कतओक दैत्‍य मारि मुख मेलल
कतओ उगिलि कएल कूड़ा

सामर बरन नयन अनुरंजित
जलद जोग फुलकोका
कट-कट विकट ओठ पुट पांडरि
लिधुर फेन उठ फोंका

घन-घन-घनय घुंघरू कत बाजय
हन-हन कर तुअ काता
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र बिसरू जनि माता