भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दीपशिखा / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(5 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 13 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
{{KKPustak | {{KKPustak | ||
|चित्र=Deepshikha.jpg | |चित्र=Deepshikha.jpg | ||
|नाम=दीपशिखा | |नाम=दीपशिखा | ||
|रचनाकार=[[महादेवी वर्मा]] | |रचनाकार=[[महादेवी वर्मा]] | ||
− | |प्रकाशक= | + | |प्रकाशक= |
|वर्ष=1942 | |वर्ष=1942 | ||
|भाषा=हिन्दी | |भाषा=हिन्दी | ||
पंक्ति 14: | पंक्ति 10: | ||
|शैली=गीत | |शैली=गीत | ||
|पृष्ठ= | |पृष्ठ= | ||
− | |ISBN= | + | |ISBN= |
− | |विविध= | + | |विविध= |
}} | }} | ||
+ | यह महादेवी वर्मा जी की अत्यन्त प्रसिद्ध चित्र-गीतात्मक पुस्तक है जिसमें महादेवीजी ने अपनी कवितायें अपने बनाये चित्रों पर स्वयम् लिखी थीं। यह काव्य संग्रह 1942 में प्रकाशित हुआ था। इसमें कुल इक्यावन कविताएँ हैं. प्रत्येक गीत अनूठा एवम् चित्रात्मक है. | ||
− | + | जो स्थान महाकाव्यों में प्रसादजी की 'कामायनी' एवम् प्रबंधात्मक कविताओं में निरालाजी की 'राम की शक्ति पूजा' को प्राप्त है, वही स्थान आधुनिक गीतिकाव्य में 'दीपशिखा' को प्राप्त है. आधुनिक काव्य में श्रेष्ठ है गीतिकाव्य, गीतिकाव्य में श्रेष्ठ हैं महादेवी के गीत, एवम् महदेवीजी के गीतों में श्रेष्ठ है 'दीपशिखा'! | |
− | + | ||
* [[दीप मेरे जल अकम्पित / महादेवी वर्मा]] | * [[दीप मेरे जल अकम्पित / महादेवी वर्मा]] | ||
* [[पंथ होने दो अपरिचित / महादेवी वर्मा]] | * [[पंथ होने दो अपरिचित / महादेवी वर्मा]] | ||
पंक्ति 36: | पंक्ति 32: | ||
* [[जो न प्रिय पहिचान पाती / महादेवी वर्मा]] | * [[जो न प्रिय पहिचान पाती / महादेवी वर्मा]] | ||
* [[आँसुओं के देश में / महादेवी वर्मा]] | * [[आँसुओं के देश में / महादेवी वर्मा]] | ||
− | * [[गोधूली | + | * [[गोधूली अब दीप जगा ले / महादेवी वर्मा]] |
* [[मैं न यह पथ जानती री / महादेवी वर्मा]] | * [[मैं न यह पथ जानती री / महादेवी वर्मा]] | ||
− | * | + | * झिप चलीं पलकें तुम्हारी पर कथा है शेष! / महादेवी वर्मा |
− | * | + | * मिट चली घटा अधीर! / महादेवी वर्मा |
+ | * अलि कहाँ सन्देश भेजूँ? / महादेवी वर्मा | ||
+ | * मोम सा तन घुल चुका / महादेवी वर्मा | ||
+ | * कोई यह आँसू आज माँग ले जाता! / महादेवी वर्मा | ||
+ | * मेघ सी घिर झर चली मैं! / महादेवी वर्मा | ||
+ | * निमिष से मेरे विरह के कल्प बीते! / महादेवी वर्मा | ||
+ | * सब आँखों के आँसू उजले, सबके सपनों में सत्य पला! / महादेवी वर्मा | ||
+ | * फिर तुमने क्यों शूल बिछाए? / महादेवी वर्मा | ||
+ | * मैं क्यों पूछूँ यह विरह-निशा,कितनी बीती क्या शेष रही? / महादेवी वर्मा | ||
+ | * आज दे वरदान! / महादेवी वर्मा | ||
+ | * प्राणों ने कहा कब दूर, पग ने कब गिने थे शूल? / महादेवी वर्मा | ||
+ | * सपने जगाती आ! / महादेवी वर्मा | ||
+ | * मैं पलकों में पाल रही हूँ यह सपना सुकमार किसी का! / महादेवी वर्मा | ||
+ | * गूँजती क्यों प्राण-वंशी! / महादेवी वर्मा | ||
+ | * क्यों अश्रु न हों श्रृंगार मुझे! / महादेवी वर्मा | ||
+ | * शेष यामिनी मेरा निकट निर्वाण! पागल रे शलभ अनजान! / महादेवी वर्मा |
22:27, 11 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
दीपशिखा
रचनाकार | महादेवी वर्मा |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | 1942 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता संग्रह |
विधा | गीत |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
यह महादेवी वर्मा जी की अत्यन्त प्रसिद्ध चित्र-गीतात्मक पुस्तक है जिसमें महादेवीजी ने अपनी कवितायें अपने बनाये चित्रों पर स्वयम् लिखी थीं। यह काव्य संग्रह 1942 में प्रकाशित हुआ था। इसमें कुल इक्यावन कविताएँ हैं. प्रत्येक गीत अनूठा एवम् चित्रात्मक है.
जो स्थान महाकाव्यों में प्रसादजी की 'कामायनी' एवम् प्रबंधात्मक कविताओं में निरालाजी की 'राम की शक्ति पूजा' को प्राप्त है, वही स्थान आधुनिक गीतिकाव्य में 'दीपशिखा' को प्राप्त है. आधुनिक काव्य में श्रेष्ठ है गीतिकाव्य, गीतिकाव्य में श्रेष्ठ हैं महादेवी के गीत, एवम् महदेवीजी के गीतों में श्रेष्ठ है 'दीपशिखा'!
- दीप मेरे जल अकम्पित / महादेवी वर्मा
- पंथ होने दो अपरिचित / महादेवी वर्मा
- ओ चिर नीरव / महादेवी वर्मा
- प्राण हँस कर ले चला जब / महादेवी वर्मा
- सब बुझे दीपक जला लूँ / महादेवी वर्मा
- हुए शूल अक्षत / महादेवी वर्मा
- आज तार मिला चुकी हूँ / महादेवी वर्मा
- कहाँ से आये बादल काले / महादेवी वर्मा
- यह सपने सुकुमार / महादेवी वर्मा
- तरल मोती से नयन भरे / महादेवी वर्मा
- विहंगम-मधुर स्वर तेरे / महादेवी वर्मा
- जब यह दीप थके तब आना / महादेवी वर्मा
- धूप सा तन दीप सी मैं / महादेवी वर्मा
- तू धूल-भरा ही आया / महादेवी वर्मा
- जो न प्रिय पहिचान पाती / महादेवी वर्मा
- आँसुओं के देश में / महादेवी वर्मा
- गोधूली अब दीप जगा ले / महादेवी वर्मा
- मैं न यह पथ जानती री / महादेवी वर्मा
- झिप चलीं पलकें तुम्हारी पर कथा है शेष! / महादेवी वर्मा
- मिट चली घटा अधीर! / महादेवी वर्मा
- अलि कहाँ सन्देश भेजूँ? / महादेवी वर्मा
- मोम सा तन घुल चुका / महादेवी वर्मा
- कोई यह आँसू आज माँग ले जाता! / महादेवी वर्मा
- मेघ सी घिर झर चली मैं! / महादेवी वर्मा
- निमिष से मेरे विरह के कल्प बीते! / महादेवी वर्मा
- सब आँखों के आँसू उजले, सबके सपनों में सत्य पला! / महादेवी वर्मा
- फिर तुमने क्यों शूल बिछाए? / महादेवी वर्मा
- मैं क्यों पूछूँ यह विरह-निशा,कितनी बीती क्या शेष रही? / महादेवी वर्मा
- आज दे वरदान! / महादेवी वर्मा
- प्राणों ने कहा कब दूर, पग ने कब गिने थे शूल? / महादेवी वर्मा
- सपने जगाती आ! / महादेवी वर्मा
- मैं पलकों में पाल रही हूँ यह सपना सुकमार किसी का! / महादेवी वर्मा
- गूँजती क्यों प्राण-वंशी! / महादेवी वर्मा
- क्यों अश्रु न हों श्रृंगार मुझे! / महादेवी वर्मा
- शेष यामिनी मेरा निकट निर्वाण! पागल रे शलभ अनजान! / महादेवी वर्मा