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"हाय रे! ये माह फाग / अभिषेक कुमार अम्बर" के अवतरणों में अंतर
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दिल को नहीं करार हाये होलीका है इंतज़ार | दिल को नहीं करार हाये होलीका है इंतज़ार | ||
रंगों में रंगूँगा तुझे रंगीले सजन में। | रंगों में रंगूँगा तुझे रंगीले सजन में। | ||
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13:51, 13 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
हाय रे ! ये माह फ़ाग दिल में लगाये आग,
गोरियों को देख प्रेम उमड़े है मन में।
लगती हैं लैला हीर नजरों से मारें तीर,
बिज़ली सी दौड़ पड़े सारे ही बदन में ।
बन गया में शिकार हाय बैठा दिल हार,
उसकी ही सूरतिया बसी अखियन में।
दिल को नहीं करार हाये होलीका है इंतज़ार
रंगों में रंगूँगा तुझे रंगीले सजन में।