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"वेताल शव / वरवर राव" के अवतरणों में अंतर

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लाकअप से शव को
 
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कन्धे पर उठाए
 
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मैं चल रहा हूँ
 
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अपनी मौत की घटना सुनाऊँ
 
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पूछता है शव
 
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"मेरी मौत सहज थी या हत्या" ।
 
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शव और वह भी लाकअप में
 
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वह हत्या ही हो सकती है
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सत्य कहने पर ख़ुशी हुई
 
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जीवित आदमी का
 
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लाकअप में मुँह खोलना ही अपराध है
 
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इसीलिए
 
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वह शव अदृश्य हो गया
 
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और फिर दूसरे लाकअप में मिला ।
 
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03:27, 15 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: वरवर राव  » संग्रह: साहस गाथा
»  वेताल शव

लाकअप से शव को
कन्धे पर उठाए
मैं चल रहा हूँ

अपनी मौत की घटना सुनाऊँ
पूछता है शव
"मेरी मौत सहज थी या हत्या" ।

शव और वह भी लाकअप में
बात कर रहा हो तो
वह हत्या ही हो सकती है —
मैंने कहा ।

सत्य कहने पर ख़ुशी हुई
जीवित आदमी का
लाकअप में मुँह खोलना ही अपराध है
इसीलिए
वह शव अदृश्य हो गया
और फिर दूसरे लाकअप में मिला ।