भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"फेर हवाबाज़ आ गइल बादर / आसिफ रोहतासवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} {{KKCatBihar}} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=
+
|रचनाकार=आसिफ रोहतासवी
 
|अनुवादक=
 
|अनुवादक=
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=

16:28, 24 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

फेर हवाबाज़ आ गइल बादर ,
सिर्फ शहरे प छा गइल बादर।

रह गइल चुरुआ लगवले मडई,
छत के पानी पिया गइल बादर ।

भेख बहुरुपिया नियन बदले,
खूब बुरबक बना गइल बादर ।

नाहि बरसे के तनिक बा हबखब
खेत लहलस डूबा गइल बादर ।

खूब गरजल, चमक-दमक देके ,
खूब सपना देखा गइल बादर ।

भूख 'आसिफ' न कुछ सुने देलसु ,
राग बादल सूना गइल बादर ।