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"हिचकते औ' होते भयभीत / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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सुरा को जो करते स्वीकार, | सुरा को जो करते स्वीकार, | ||
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हलाहल बनकर देता मार; | हलाहल बनकर देता मार; | ||
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19:51, 25 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
हिचकते औ' होते भयभीत
सुरा को जो करते स्वीकार,
उन्हें वह मस्ती का उपहार
हलाहल बनकर देता मार;
मगर जो उत्सुक-मन, झुक-झूम
हलाहल पी जाते सह्लाद,
उन्हें इस विष में होता प्राप्त
अमर मदिरा का मादक स्वाद।