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"हलाहल और अमिय, मद एक / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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हलाहल और अमिय, मद एक,
 
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कहीं पर लगता है रतनार,
 
कहीं पर लगता है रतनार,
 
 
कहीं पर श्‍वेत, कहीं पर श्‍याम,
 
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हमारे पीने में कुछ भेद
:::हमारे पीने में कुछ भेद
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कि पड़ता झुक-झुक झुम,
 
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अमर पद लेता कोई चूम।
 
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:::किसी का घुटता तन-मन-प्राण,
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:::अमर पद लेता कोई चूम।
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20:00, 25 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

हलाहल और अमिय, मद एक,
एक रस के ही तीनों नाम,
कहीं पर लगता है रतनार,
कहीं पर श्‍वेत, कहीं पर श्‍याम,

हमारे पीने में कुछ भेद
कि पड़ता झुक-झुक झुम,
किसी का घुटता तन-मन-प्राण,
अमर पद लेता कोई चूम।