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"तहों में दिल के जहां कोई वारदात हुई / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर
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तहों में दिल के जहां कोई वारदात हुई | तहों में दिल के जहां कोई वारदात हुई | ||
हयाते-ताज़ा से लबरेज़ कायनात हुई | हयाते-ताज़ा से लबरेज़ कायनात हुई | ||
− | तुम्हीं ने | + | तुम्हीं ने बाएसे-ग़म<ref>ग़म का कारण</ref>बारहा किया दरयाफ़्त<ref>खोज, जाँच, टोह</ref> |
कहा तो रूठ गये यह भी कोई बात हुई | कहा तो रूठ गये यह भी कोई बात हुई | ||
− | हयात राज़े-सुकूँ पा गयी अजल ठहरी | + | हयात राज़े-सुकूँ पा गयी अजल<ref>मृत्यु, मौत</ref> ठहरी |
− | अजल में थोड़ी-सी | + | अजल में थोड़ी-सी लर्ज़िश<ref>सिहरन, स्पंदन</ref> हुई हयात हुई |
− | थी एक काविशे-बेनाम< | + | थी एक काविशे-बेनाम<ref>अनाम जिज्ञासा</ref> दिल में फ़ितरत के |
− | सिवा हुई तो वही आदमी की ज़ात हुई | + | सिवा हुई तो वही आदमी की ज़ात <ref>व्यक्तित्व, शख़्सियत, स्वयं,अस्तित्व</ref>हुई |
बहुत दिनों में महब्ब़त को यह हुआ मालूम | बहुत दिनों में महब्ब़त को यह हुआ मालूम | ||
जो तेरे हिज़्र में गुज़री वो रात रात हुई | जो तेरे हिज़्र में गुज़री वो रात रात हुई | ||
− | + | 'फ़िराक़' को कभी इतना ख़मोश देखा था | |
− | + | ज़रूर ऐ निगहे-नाज़ कोई बात हुई | |
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11:45, 11 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
तहों में दिल के जहां कोई वारदात हुई
हयाते-ताज़ा से लबरेज़ कायनात हुई
तुम्हीं ने बाएसे-ग़म<ref>ग़म का कारण</ref>बारहा किया दरयाफ़्त<ref>खोज, जाँच, टोह</ref>
कहा तो रूठ गये यह भी कोई बात हुई
हयात राज़े-सुकूँ पा गयी अजल<ref>मृत्यु, मौत</ref> ठहरी
अजल में थोड़ी-सी लर्ज़िश<ref>सिहरन, स्पंदन</ref> हुई हयात हुई
थी एक काविशे-बेनाम<ref>अनाम जिज्ञासा</ref> दिल में फ़ितरत के
सिवा हुई तो वही आदमी की ज़ात <ref>व्यक्तित्व, शख़्सियत, स्वयं,अस्तित्व</ref>हुई
बहुत दिनों में महब्ब़त को यह हुआ मालूम
जो तेरे हिज़्र में गुज़री वो रात रात हुई
'फ़िराक़' को कभी इतना ख़मोश देखा था
ज़रूर ऐ निगहे-नाज़ कोई बात हुई
शब्दार्थ
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