भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ज़िन्दगी क़ैद से भी बद-तर है / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:28, 13 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

साँचा:KKCatTraile

 
ज़िन्दगी क़ैद से भी बद-तर है
कब मिलेगी निजात क्या कहिये

हर कदम हादिसा है, महशर है
ज़िन्दगी क़ैद से भी बद-तर है
जाने-कितने युगों का चक्कर है

वारदातें-हयात क्या कहिये

ज़िन्दगी क़ैद से भी बद-तर है
कब मिलेगी निजात क्या कहिये।