भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्यों रोज़ बदल जाता है हर शख़्स का चेहरा / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:33, 13 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

साँचा:KKCatTraile

 
क्यों रोज़ बदल जाता है हर शख्स का चेहरा
ये बात कि दर्पण ने भी जानी तो नहीं है

तुफ देख के भी उसने कभी ये नहीं पूछा
क्यों रोज़ बदल जाता है हर शख्स का चेहरा
बस देखता रहता है, मगर कुछ नहीं कहता

चेहरों का बदल जाना कहानी तो नहीं है

क्यों रोज़ बदल जाता है हर शख्स का चेहरा
ये बात कि दर्पण ने भी जानी तो नहीं है।