भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रतिच्छाया / विपिन चौधरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विपिन चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:14, 15 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

सफ़ेद चादर नीन्द की
उस पर झरते
हरे पत्तों से सपने
  
सपने मुझे
जीवन की आख़िरी तह तक
पहचानते हैं
जानते हैं वे
मेरी गुज़री उम्र के सभी
कच्चे-पक्के क़िस्से
 
बेर के लदे घने पेड़ को झकझोर कर
आँचल में बेरों को भर लेने के सपने
कई बार दिखाती है नीन्द
 
सपनों में
मेरी सीली आँखे,
नीन्द ने,
ली मेरी तरुणाई से
 
प्रेम में रपटने का क़िस्सा
सपनों ने दोहराया इतनी बार
कि अब वह
नींव का पत्थर बन चुका है
 
जीवन से कितने बिम्ब सींच लिए
नीन्द ने
और गूँथ लिया
उन्हें सपनों में
 
एक उम्र गुज़ार कर
मैंने भी जैसे सीखा है
नीन्द को
सफ़ेद चादर
और सपनों को
हरे पत्तों का
बिम्ब प्रदान करना