भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जिस पर ये दिल फ़िदा है दिलदार वो है निराला / बिन्दु जी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बिन्दु जी |अनुवादक= |संग्रह=मोहन म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
हर दिल अजीज भी है हर दिल का है उजाला॥ | हर दिल अजीज भी है हर दिल का है उजाला॥ | ||
क्या है वो क्या नहीं झगड़ा दूर हो तब। | क्या है वो क्या नहीं झगड़ा दूर हो तब। | ||
− | होता है जब वो जाहिर परदे में | + | होता है जब वो जाहिर परदे में छिपनेवाला॥ |
खम्भे से मूर्ती से जल सिन्धु से जमीं से। | खम्भे से मूर्ती से जल सिन्धु से जमीं से। | ||
पलभर में निकल आया जिसने जहाँ निकला। | पलभर में निकल आया जिसने जहाँ निकला। |
01:04, 17 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
जिस पर ये दिल फ़िदा है दिलदार वो है निराला।
हर दिल अजीज भी है हर दिल का है उजाला॥
क्या है वो क्या नहीं झगड़ा दूर हो तब।
होता है जब वो जाहिर परदे में छिपनेवाला॥
खम्भे से मूर्ती से जल सिन्धु से जमीं से।
पलभर में निकल आया जिसने जहाँ निकला।
बंजरों में पहाड़ों में कतरों में बादलों में।
अदना है ‘बिन्दु” से भी हैं सिन्धु से भी आला।