भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हमें हमसे ही मिलवाया गया है / सोनरूपा विशाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सोनरूपा विशाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:33, 21 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

 
समझते थे जो समझाया गया है
हमें हमसे ही मिलवाया गया है

जो बोलें उसको पहले तोल लें हम
हमें व्यापार सिखलाया गया है

कभी एहसान कोई कर गया है
बराबर याद दिलवाया गया है

हमारे हाथ ख़ाली रह गए फिर
हमें बच्चों सा बहलाया गया है

था जब मौसम सही रोका गया तब
हमें आँधी में दौड़ाया गया है

हमारे नाम के हिस्से को क्यूँ कर
किसी के नाम लिखवाया गया है