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"क्यों और किसी का भी सहारा देखो / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर
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क्यों और किसी का भी सहारा देखो
हर चीज़ को कुछ हट के अल-हदा देखो
खुल जाएंगे हस्ती के कई राज़ नये
है देखना दुनिया को तो तन्हा देखो।