भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बारे-ग़मो-अन्दोह उठा सकता हूँ / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:55, 7 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
बारे-ग़मो-अन्दोह उठा सकता हूँ
हर दर्द को सीने में छुपा सकता हूँ
इतनी तो है क़ुव्वते-इरादी मुझ मर
तूफ़ान में भी दीया जला सकता हूँ।