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"ये सुब्ह का पुर-कैफ़ सुहाना मंज़र / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर

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11:10, 7 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

 
ये सुब्ह का पुर-कैफ़ सुहाना मंज़र
ये आंखें झपकते हुए माहो-अख़्तर
पत्तों पे ये शबनम के मोती दाने
फिर उस पे ये दूब का मुलायम बिस्तर।