भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हमको ये जहां-दादा बुज़ुर्गों ने कहा / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:24, 7 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
हमको ये जहां-दादा बुज़ुर्गों ने कहा
पैसों का नहीं गुरुर अच्छा होता
हमने मासूमियत से पूछा फिर क्यों
हर कोई पुकारता है पैसा पैसा