भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हम देश, विदेश में कहीं भी घूमें / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:25, 7 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
हम देश, विदेश में कहीं भी घूमें
नश्शे में बदे-ऐ'मालियों के भी झूमें
बस दाग़े-नदामत से बचें, वैसे तो
बद कौन नहीं आलमे-रंगों-बू में।