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"बच्चों को यतीम छिड़ देती है मौत / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर

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बच्चों को यतीम छिड़ देती है मौत
जिंदों के दिलों को तोड़ देती है मौत
कुछ चलती नहीं किसी की इनके आगे
मग़रूर सरों को फोड़ देती है मौत।