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"अहसास के शोलों को हवा देता है / रमेश तन्हा" के अवतरणों में अंतर
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अहसास के शोलों को हवा देता है
सोये हुए इमकान जगा देता है
क्यों अपने तखैयुल के न कुरबां जाऊं
जो राज़ की हर बात बता देता है।