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"सब के हिस्से से उन्हें हिस्सा सदा मिलता रहे / प्रफुल्ल कुमार परवेज़" के अवतरणों में अंतर

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सब के हिस्से से उन्हें हिस्सा सदा मिलता रहे  
 
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चाहते हैं लोग कुछ ,ये सिलसिला चलता रहे
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चाहते हैं लोग कुछ, ये सिलसिला चलता रहे
  
 
चन्द लोगों की यही कोशिश रही है दोस्तो
 
चन्द लोगों की यही कोशिश रही है दोस्तो

11:12, 28 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण

सब के हिस्से से उन्हें हिस्सा सदा मिलता रहे
चाहते हैं लोग कुछ, ये सिलसिला चलता रहे

चन्द लोगों की यही कोशिश रही है दोस्तो
आदमी का आदमी से फ़ासला बढ़ता रहे

खल रहा है इस शहर में आदमी को आदमी
इस शहर में कब तलक अब हादसा टलता रहे

आने वाला कल मसीहा ले के आएगा यहाँ
दर्द सीने में अगर बाक़ायदा पलता रहे

अपनी आँखों से हमें भी खोलनी हैं पट्टियाँ
फ़ायदा क्या है कि अन्धा क़ाफ़िला चलता रहे

वक़्त तो लगता है आख़िर पत्थरों का है पहाड़
मेरा मक़सद है वहाँ इक रास्ता बनता रहे.