भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लड़की जात हो / अलकनंदा साने" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अलकनंदा साने |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
<poem>
 
<poem>
 
लड़की जात हो----ठठाकर मत हँसो
 
लड़की जात हो----ठठाकर मत हँसो
लड़की जात हो----फैलाकर मत बैठो
+
लड़की जात हो----पैर फैलाकर मत बैठो
 
लड़की जात हो----तनकर मत चलो
 
लड़की जात हो----तनकर मत चलो
 
लड़की जात हो----सबके बीच बाल मत औंछो  
 
लड़की जात हो----सबके बीच बाल मत औंछो  

21:53, 21 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

लड़की जात हो----ठठाकर मत हँसो
लड़की जात हो----पैर फैलाकर मत बैठो
लड़की जात हो----तनकर मत चलो
लड़की जात हो----सबके बीच बाल मत औंछो
लड़की जात हो----गर्दन नीची रखो
लड़की जात हो----नजरें झुकाए रखो
लड़की जात हो----थोडा-सा करो और ज्यादातर मत करो
 
देह कन्या से बूढ़ी हो गई
पर दिमाग़ से नहीं गई----लड़की जात ...