भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हे राम ! / रामकुमार कृषक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=रामकुमार कृषक
 
|रचनाकार=रामकुमार कृषक
|संग्रह=
+
|संग्रह=लौट आएँगी आंखें / रामकुमार कृषक
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
<poem>
 
<poem>
 
तुम्हारे नाम की हो रही है लूट  
 
तुम्हारे नाम की हो रही है लूट  
::हे राम !
+
हे राम !  
 
तुम्हारे नाम को जप रहा है झूठ  
 
तुम्हारे नाम को जप रहा है झूठ  
::हे राम !
+
हे राम !  
तुम्हारे नाम से भर रहे हैं कुछ पेट  
+
तुम्हारे नाम से भर रहे हैं पेट  
::हे राम !
+
हे राम !  
 
तुम्हारे नाम पर ठग रहे हैं सेठ  
 
तुम्हारे नाम पर ठग रहे हैं सेठ  
::हे राम !
+
हे राम !  
तुम्हारे नाम पर सजे हैं बाज़ार  
+
तुम्हारे नाम पर सजे हुए हैं बाज़ार  
::हे राम !
+
हे राम !
तुम्हारे नाम पर डाकू भी संत हुए
+
तुम्हारे नाम पर जम गया है ब्योपार
::हे राम !
+
हे राम !  
तुम्हारे नाम की महिमा अनंत है  
+
तुम्हारे नाम पर डाकू भी सन्त
::हे राम !
+
हे राम !  
 +
तुम्हारे नाम की महिमा है अनन्त
 +
हे राम !  
 
</poem>
 
</poem>

20:37, 23 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

तुम्हारे नाम की हो रही है लूट
हे राम !
तुम्हारे नाम को जप रहा है झूठ
हे राम !
तुम्हारे नाम से भर रहे हैं पेट
हे राम !
तुम्हारे नाम पर ठग रहे हैं सेठ
हे राम !
तुम्हारे नाम पर सजे हुए हैं बाज़ार
हे राम !
तुम्हारे नाम पर जम गया है ब्योपार
हे राम !
तुम्हारे नाम पर डाकू भी सन्त
हे राम !
तुम्हारे नाम की महिमा है अनन्त
हे राम !