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"दोहे / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर

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जीवन भर भटका किए, खुली न मन की गाँठ
 
जीवन भर भटका किए, खुली न मन की गाँठ
 
उसका रस्ता छोड़कर, देखी उसकी बाट
 
उसका रस्ता छोड़कर, देखी उसकी बाट

19:17, 11 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण

जीवन भर भटका किए, खुली न मन की गाँठ
उसका रस्ता छोड़कर, देखी उसकी बाट