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"सांवली सी एक लड़की / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर
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− | वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की | + | <poem> |
− | जो रोज़ मेरी गली से गुज़र के जाती है | + | वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की |
− | सुना है | + | जो रोज़ मेरी गली से गुज़र के जाती है |
− | वो किसी लड़के से प्यार करती है | + | सुना है |
− | बहार हो के, तलाश-ए-बहार करती है | + | वो किसी लड़के से प्यार करती है |
− | न कोई मेल न कोई लगाव है लेकिन न जाने क्यूँ | + | बहार हो के, तलाश-ए-बहार करती है |
− | बस उसी वक़्त जब वो आती है | + | न कोई मेल न कोई लगाव है लेकिन न जाने क्यूँ |
− | कुछ इंतिज़ार की आदत सी हो गई है | + | बस उसी वक़्त जब वो आती है |
− | मुझे | + | कुछ इंतिज़ार की आदत सी हो गई है |
− | एक अजनबी की ज़रूरत हो गई है मुझे | + | मुझे |
− | मेरे बरांडे के आगे यह फूस का छप्पर | + | एक अजनबी की ज़रूरत हो गई है मुझे |
− | गली के मोड पे खडा हुआ सा | + | मेरे बरांडे के आगे यह फूस का छप्पर |
− | एक पत्थर | + | गली के मोड पे खडा हुआ सा |
− | वो एक झुकती हुई बदनुमा सी नीम की शाख | + | एक पत्थर |
− | और उस पे जंगली कबूतर के घोंसले का निशाँ | + | वो एक झुकती हुई बदनुमा सी नीम की शाख |
− | यह सारी चीजें कि जैसे मुझी में शामिल हैं | + | और उस पे जंगली कबूतर के घोंसले का निशाँ |
− | मेरे दुखों में मेरी हर खुशी में शामिल हैं | + | यह सारी चीजें कि जैसे मुझी में शामिल हैं |
− | मैं चाहता हूँ कि वो भी यूं ही गुज़रती रहे | + | मेरे दुखों में मेरी हर खुशी में शामिल हैं |
− | अदा-ओ-नाज़ से लड़के को प्यार करती रहे< | + | मैं चाहता हूँ कि वो भी यूं ही गुज़रती रहे |
+ | अदा-ओ-नाज़ से लड़के को प्यार करती रहे | ||
+ | </poem> |
22:28, 13 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण
वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की
जो रोज़ मेरी गली से गुज़र के जाती है
सुना है
वो किसी लड़के से प्यार करती है
बहार हो के, तलाश-ए-बहार करती है
न कोई मेल न कोई लगाव है लेकिन न जाने क्यूँ
बस उसी वक़्त जब वो आती है
कुछ इंतिज़ार की आदत सी हो गई है
मुझे
एक अजनबी की ज़रूरत हो गई है मुझे
मेरे बरांडे के आगे यह फूस का छप्पर
गली के मोड पे खडा हुआ सा
एक पत्थर
वो एक झुकती हुई बदनुमा सी नीम की शाख
और उस पे जंगली कबूतर के घोंसले का निशाँ
यह सारी चीजें कि जैसे मुझी में शामिल हैं
मेरे दुखों में मेरी हर खुशी में शामिल हैं
मैं चाहता हूँ कि वो भी यूं ही गुज़रती रहे
अदा-ओ-नाज़ से लड़के को प्यार करती रहे