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"आ ही जाती है / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर
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आ ही जाती है मगर फिर भी मेरे दर्द की याद. | आ ही जाती है मगर फिर भी मेरे दर्द की याद. | ||
गरचे है तर्के-मोहब्बत१ में भी आराम बहुत. | गरचे है तर्के-मोहब्बत१ में भी आराम बहुत. | ||
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और भी काम है दुनियाँ में ग़में-उल्फत को. | और भी काम है दुनियाँ में ग़में-उल्फत को. | ||
उसकी याद अच्छी नहीं ऐ दिले-नाकाम बहुत. | उसकी याद अच्छी नहीं ऐ दिले-नाकाम बहुत. | ||
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ये भी साक़ी बस इक अंदाजे-सियहमस्ती थी. | ये भी साक़ी बस इक अंदाजे-सियहमस्ती थी. | ||
कर चुके तौबा बहुत,तोड़ चुके जाम बहुत. | कर चुके तौबा बहुत,तोड़ चुके जाम बहुत. | ||
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22:23, 25 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण
आ ही जाती है मगर फिर भी मेरे दर्द की याद.
गरचे है तर्के-मोहब्बत१ में भी आराम बहुत.
और भी काम है दुनियाँ में ग़में-उल्फत को.
उसकी याद अच्छी नहीं ऐ दिले-नाकाम बहुत.
ये भी साक़ी बस इक अंदाजे-सियहमस्ती थी.
कर चुके तौबा बहुत,तोड़ चुके जाम बहुत.
१.प्रेम का त्याग