भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्या / रोबेर्तो फ़ेर्नान्दिस रेतामार / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रोबेर्तो फ़ेर्नान्दिस रेतामार |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

16:12, 26 अक्टूबर 2020 का अवतरण

क्या जब तक आदमी मरा हुआ है, कोई
ज़िन्दा रह सकता है ।
चलो फिर, सब मर जाएँ
भले ही धीरे-धीरे
जब तक कि यह अन्याय ख़त्म नहीं हो जाता ।
 
स्पानी से अनुवाद : अनिल जनविजय

और लीजिए, अब यही कविता मूल स्पानी में पढ़िए
      Roberto Fernández Retamar
                      QUE

Que mientras quede un hombre muerto, nadie
Se quede vivo.
Pongámonos todos a morir,
Aunque sea despacito,
Hasta que se repare esa injusticia..